Samajwadi Party के संस्थापक और संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है. आइए – आज हम आपको अखिलेश और मुलायम से जुड़ा एक 12 साल पुराना किस्सा बताते हैं.
Mulayam Singh Yadav News: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और संस्थापक रहे नेता जी मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है. साल 1992 में सपा की स्थापना करने वाले मुलायम सिंह ने अपने सियासत की विरासत बेटे अखिलेश यादव को सौंपी थी. अखिलेश फिलहाल सपा की कमान संभाल रहे हैं. उनकी अगुवाई में सपा ने लोकसभा चुनाव में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए अपने इतिहास में सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थीं.
हालांकि अखिलेश की सियासत में एक वक्त ऐसा भी था जब मुलायम सिंह यादव उनसे नाराज हो गए थे. बात आज से 12 साल पहले की है. तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने यह बात मानी थी कि मुलायम सिंह यादव नाराज हैं. अखिलेश ने यह भी कहा था कि वह सरकार के काम काज से मुलायम सिंह यादव को संतुष्ट करेंगे.
अगस्त 2012 में एक प्रेस वार्ता के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की नाराजगी पर उनसे सवाल हुआ. तब एक पत्रकार ने उनसे पूछा था- सरकार के काम काज से नेता जी नाराज बताए जा रहे हैं. इस पर आपका क्या कहना है? इस सवाल पर अखिलेश ने कहा था कि नेता जी हमारे नेता हैं. अगर हमसे कोई गलती होगी तो वह जाहिर है नाखुश होंगे. काम करेंगे और काम कर के उनकी नाराजगी दूर कर देंगे.
2 साल पहले हुआ था मुलायम सिंह का निधन
अखिलेश यादव के इस पर उस वक्त विपक्ष ने जमकर प्रतिक्रियाएं दी थीं. बीजेपी, कांग्रेस और बसपा ने यह कहा था कि जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद सरकार से नाराज हैं तो इसका मतलब है कि जनता तक सही से काम नहीं पहुंच रहा है.
प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में कद्दावर शख्सियत रहे मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया था. मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे.
मुलायम सिंह यादव के पाँच बड़े फ़ैसले:
एक नज़र मुलायम सिंह के पाँच महत्वपूर्ण फ़ैसलों पर –
1.अलग पार्टी

साल 1992 में मुलायम सिंह ने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी के रूप में एक अलग पार्टी बनाई.
तब तक पिछड़ा मानी जानेवाली जातियों और अल्प संख्यकों के बीच ख़ासे लोकप्रिय हो चुके मुलायम सिंह का ये एक बड़ा क़दम था, जो उनके राजनीतिक जीवन के लिए मददगार साबित हुआ.
वे तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाते रहे.
2.अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने का फ़ैसला
1989 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. केंद्र में वीपी सिंह की सरकार के पतन के बाद मुलायम ने चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) के समर्थन से अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखी.
जब अयोध्या का मंदिर आंदोलन तेज़ हुआ, तो कार सेवकों पर साल 1990 में उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे.
बाद में मुलायम ने कहा था कि ये फ़ैसला कठिन था. हालाँकि इसका उन्हें राजनीतिक लाभ हुआ था. उनके विरोधी तो उन्हें ‘मुल्ला मुलायम’ तक कहने लगे थे.
3.यूपीए सरकार को परमाणु समझौतेके मुद्दे पर समर्थन
साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई थी, जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया था.
ऐसे वक़्त पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देकर सरकार बचाई थी. जानकारों का कहना था कि उनका ये क़दम समाजवादी सोच से अलग था और व्यावहारिक उद्देश्यों से ज़्यादा प्रेरित था.
4.अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला
साल 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 403 में से 226 सीटें जीतकर मुलायम सिंह ने अपने आलोचकों को एक बार फिर जवाब दिया था.
ऐसा लग रहा था कि मुलायम सिंह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाकर समाजवादी पार्टी की राजनीति के भविष्य को एक नई दिशा देने की पहल कर दी थी.
हालांकि उनके राजनीतिक सफ़र में उनके हमसफ़र रहे उनके भाई शिवपाल यादव और चचेरे भाई राम गोपाल यादव के लिए ये फ़ैसला शायद उतना सुखद नहीं रहा.
ख़ासतौर से शिवपाल यादव के लिए जो खुद को मुलायम के बाद मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक हक़दार मान कर चल रहे थे. लेकिन शायद यहीं समाजवादी पार्टी में उस दरार की शुरुआत हो गई थी.
5. कल्याण सिंह से मिलाया हाथ
राजनीतिक दांव चलने में माहिर मुलायम सिंह का कल्याण सिंह से हाथ मिलाना भी काफी चर्चा में रहा. 1999 में बीजेपी से निकाले जाने के बाद कल्याण सिंह ने अपनी अलग राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी. उनकी पार्टी साल 2002 में विधान सभा चुनाव भी लड़ी.
कल्याण सिंह की पार्टी को हालाँकि केवल चार सीटों पर सफलता मिली, लेकिन साल 2003 में मुलायम सिंह ने उन्हें समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल कर लिया. उनके बेटे राजवीर सिंह और सहायक कुसुम राय को सरकार में महत्वपूर्ण विभाग भी मिले.
लेकिन मुलायम से कल्याण की ये दोस्ती ज्य़ादा दिनों तक नहीं चली. साल 2004 के चुनावों से ठीक पहले कल्याण सिंह वापस भारतीय जनता पार्टी के साथ हो लिए.लेकिन इससे बीजेपी को कोई खास लाभ नही हुआ.
बीजेपी ने 2007 का विधान सभा चुनाव कल्याण सिंह की अगुआई में लड़ा, लेकिन सीटें बढ़ने के बजाय घट गईं. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम की कल्याण से दोस्ती फिर बढी और कल्याण सिंह फिर से समाजवादी पार्टी के साथ हो लिए.
इस दौरान उन्होंने कई बार भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं को भला-बुरा भी कहा. उसी दौरान उनकी भाजपा पर की गई ये टिप्पणी भी काफी चर्चित हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि, ”भाजपा मरा हुआ साँप है, और मैं इसे कभी गले नही लगाऊंगा.”